पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज में चीन की 40% हिस्सेदारी
मनी कंट्रोल की एक खबर के मुताबिक, साल 2017 में चीन ने पाकिस्तान के शेयर बाजार में बड़ा निवेश किया था. शंघाई स्टॉक एक्सचेंज, शेन्झेन स्टॉक एक्सचेंज, चाइना फाइनेंशियल फ्यूचर्स एक्सचेंज (CFFEX), पाक-चाइना इनवेस्टमेंट कंपनी और हबीब बैंक लिमिटेड ने मिलकर एक कंसोर्शियम बनाया और पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) में 40 फीसदी की हिस्सेदारी खरीद ली. शंघाई स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट पर इस सौदे की पुष्टि की गई है. इस कंसोर्शियम के ज़रिए चीन ने न सिर्फ आर्थिक हिस्सेदारी पाई, बल्कि प्रबंधन में भी अपनी जगह बना ली.
पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज की 2024 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, इन तीनों चीनी एक्सचेंजों को विदेशी शेयरहोल्डर के रूप में उल्लेखित किया गया है. एक्सचेंज के बोर्ड में कुल 10 निदेशक हैं, जिनमें से तीन, यू हैंग (CFFEX के प्रतिनिधि), फू हाओ और गु जुनमेई (दोनों शंघाई स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारी) चीन से हैं. इसका सीधा मतलब है कि नीतिगत फैसलों में चीन की राय अहम हो गई है.
बांग्लादेश में भी ड्रैगन ने जमाया है पांव
पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश की बारी आई. मई 2018 में शंघाई और शेन्झेन स्टॉक एक्सचेंज की अगुआई में एक चीनी कंसोर्शियम ने ढाका स्टॉक एक्सचेंज में 25 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी. यह सौदा तब हुआ जब बांग्लादेश सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने इस चीनी बोली को मंजूरी दी. हालांकि, बांग्लादेश में चीन की बोर्ड उपस्थिति पाकिस्तान जितनी गहरी नहीं है. ढाका स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट के मुताबिक, बोर्ड के 13 सदस्यों में से सिर्फ एक, वांग हाई (शेन्झेन स्टॉक एक्सचेंज से), चीन का प्रतिनिधित्व करते हैं. बोर्ड में कम उपस्थिति के बावजूद, इतनी बड़ी हिस्सेदारी चीन को बाजार की दिशा और विकास से जुड़े कई फैसलों में परोक्ष रूप से प्रभावी बनाती है.
निवेश के पीछे क्या मकसद है?
चीन की इन दोनों देशों के शेयर बाजारों में गहरी हिस्सेदारी सिर्फ आर्थिक फायदा पाने तक सीमित नहीं है. यह उस बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसके तहत चीन एशिया के छोटे और मध्यम आकार की अर्थव्यवस्थाओं में अपनी पहुंच और असर मजबूत करना चाहता है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस तरह के निवेश के जरिए उन देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, जहां वह पहले से ही कूटनीतिक और भौगोलिक रूप से मौजूद है, जैसे पाकिस्तान में सीपेक परियोजना के माध्यम से और बांग्लादेश में बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स के जरिए.